ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 10
ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 10
देवांश का फ्रस्ट्रेशन
वेलकम बैक फ्रेंड्स कैसे हैं आप लोग उम्मीद करती हु आप लोग अच्छे होंगे... अब तक अपने पढ़ा... ज्योति को देवांश का मेसेज आता है... देवांश से बात करने के बाद ज्योति घर आ जाती है घर पर आकर वह अपनी मां से मिलती है अपने पापा से बिना मिले ज्योति अपने कमरे में चली जाती है और वही दरवाजे से लगकर बैठकर रोने लगती है तभी उसके फोन पर मैसेज आता है
"अब आगे"
ज्योति के घर पर
इस वक्त लगभग शाम के 7:00 बज रहे थे.... ज्योति अपने घुटनों मे मुह छुपाये रो रही थी तभी उसका फोन बजता है.....ज्योति अपना फोन चेक करती है तो उसमें देवांश का मैसेज था जिसमें लिखा था
"इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,
राते कटती है लेकर नाम तेरा,
मुद्दत से बैठा हूँ पाल के ये आस,
कभी तो आएगा कोई पैग़ाम तेरा" !!
यह शायरी पढ़ कर ज्योति को अजीब सा लगता है तभी दूसरा नोटिफिकेशन आता है ......."घर पहुंच गई एक मैसेज भी नहीं किया"......ज्योति गुस्से में रिप्लाई करती है...."तुमसे मतलब"..... देवांश का दोबारा मैसेज आता है "अब सारी जिंदगी मुझसे ही मतलब रखना है"......ज्योति दोबारा रिप्लाई करती है....अच्छा तो तुम "मुझे भी उन लड़कीओं जैसे समझ रहे हो जो तुम्हारे पैसों के आगे पीछे घुमती हैं"....
तो मिस्टर देवांश अपने दिमाग से ये खयाल निकाल दो...
मैं और लड़कियों जैसी नहीं हूं जिसके साथ तुम एक रात खेल सकते हो "मुझे उन जैसा समझने की भूल कभी मत करना"
इस मैसेज के बाद देवांश का कोई भी मैसेज नहीं आता है ज्योति काफी देर तक इंतजार करती है लेकिन कोई मैसेज नहीं आता वह भी अपना फोन रख कर नहाने चली जाती है..
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दूसरी तरफ
"पटना के एक होटल में"
देवांश कब से अपने फोन को घूरे जा रहा था उसे आज पहली बार किसी लड़की के लिए खिलौना शब्द यूज होते अच्छा नहीं लग रहा था......उसे बहुत गुस्सा आ रहा था उसके गुस्से वाला चेहरा देख रॉकी पूछता है "क्या वह बॉस सब ठीक"
देवांश गुस्से में अपना फोन पटकते हुए कहता है "यह लड़की खुद को समझती क्या है"......"खिलौना"...मैंने कब उसे खिलौना समझा है....रॉकी को कुछ समझ नहीं आता
वह देवांश से थोड़ा दूर होते हुए कहता है "आप किस लड़की की बात कर रहे हैं"
देवांश रॉकी को घूर कर देखता है और गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है "गेट आउट".......उसका इतना कहना था कि रॉकी फटाफट बाहर निकल जाता है रॉकी बाहर आकर जल्दी से दरवाजा बंद करता है और अपने दिल पर हाथ रखकर कहता है....."यह आदमी किसी दिन मुझे हार्ट अटैक से मार डालेगा"......और बड़बड़ाता हुआ वहां से चला जाता है.....कमरे में देवांश खुद को शीशे में देखते हुए कहता है
" क्यों आखिर क्यों तुम्हारा खुद को खिलौना कहना मुझे इतना बुरा लग रहा है"..... आखिर तुम भी तो एक लड़की ही हो फिर मुझे "इतना बुरा क्यों लग रहा है"
"देवांश आग है" और पहली बार किसी औरत को छूने से डर लगता है कहीं कुछ गलत ना कर दूँ......"क्यों तुम ना चाहते हुए भी मेरी जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही हो".....आखिर "हो कौन तुम"......"मुझे यह पता लगाना होगा".....देवांश की आंखें इस वक्त बहुत लाल थी देवांश वहीं सोफे पर बैठ जाता है और अपने सर को अपने दोनों हाथ के ऊपर रखकर वहीं बैठ कर ज्योति के बारे में सोचने लगता है......ज्योति की वह आंखें..."उन आंखों मे एक अजीब सा एहसास था"...."उसकी निश्चल सी मुस्कुराहट"..उसका "मासूम सा चेहरा पता नहीं क्यों देवांश भूल नहीं पा रहा था"...देवांश सोफे पर लेटते हुए उसके बारे में सोचने लगता है सोचते सोचते पता नहीं कब उसे नींद आ जाती है
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"के एम करिअप्पा के घर पर"
मिस्टर करिअप्पा अपने कमरे में वाइट बोर्ड के सामने खड़े होकर कुछ कटिंग्स उस पर लगा रहे थे .....तभी वहां एक लड़का आता है जिसकी उम्र करीब 26 - 27 की होगी वह मिस्टर करिअप्पा से पूछता है......"अप्पा आप क्या कर रहे हैं"....मिस्टर करिअप्पा उस लड़के को देखते हुए कहते हैं....."यह देवांश है इसकी एक नई डील हुई है"......यह न्यूज़ पेपर में छपा है उसी की कटिंग लगा रहा हूं
( आइए इनसे मिलते हैं यह है मिस्टर करिअप्पा के बेटे विराज
विराज एक आईपीएस ऑफिसर है....थोड़ा सांवला सलोना रूप
5'11 की हाइट हल्की भूरी आंखें शार्प फीचर्स दिखने में ऐसा जैसे ऊपर वाले ने फुर्सत से बनाया हो)
मिस्टर करिअप्पा की बात सुन विराज कहता है ..."यह तो वही गैंगस्टर है ना जिसे मारने के लिए आपकी वो ऑफिसर क्या नाम है उसका...
फिर थोड़ा सोचते हुए कहता है "क्या नाम है उसका....."ज्योति है ना"
"यही नाम है ना उसका"....मिस्टर करिअप्पा कहते हैं ....."हां यही नाम है".....विराज कहता है "आपकी इस ऑफिसर की कोई पर्सनल दुश्मनी है"...... मिस्टर करियप्पा विराज की तरफ देखते हुए कहते है...... "ये तुम्हे कैसे पता"..... विराज आराम से कहता है... गेस किया बस".. मिस्टर करियप्पा को यकीन नही होता लेकिन वो कुछ नही कहते हैं.... फिर कुछ देर चुप रहने के बाद
मिस्टर करिअप्पा मुस्कुराहट के साथ कहते हैं....."उसे समझना इतना आसान नहीं है"......."जितना वह दिखती है उससे कहीं ज्यादा उसके अंदर राज़ दफन है"......"जितनी इंफॉर्मेशन किसी के पास नहीं है उससे ज्यादा इंफॉर्मेशन देवांश के बारे में उसके पास है"......विराज कुछ सोचते हुए कहता है "इंटरेस्टिंग लड़की है"
मिस्टर करिअप्पा अपने बेटे से कहते हैं "वैसे अगर वह मेरी बहू बन जाए तो मुझे बुरा नहीं लगेगा"
विराज हल्के से हंसते हुए कहता है "डेड आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे हैं"....."यह इंपॉसिबल है"....मिस्टर करिअप्पा उसके सर पर टेप करते हुए कहते हैं ....."किताबों के अलावा तुमसे किसी और चीज की उम्मीद करना भी बेकार है".....विराज अपने डैड को तिरछी नजर से देखते हुए कहता हहै"डैड आप मुझे अंडरस्टीमेट कर रहे हैं"
मिस्टर करिअप्पा अपने दोनों हाथ बांधते हुए कहते हैं ....."अच्छा तो प्रूफ करके दिखाओ"...... अपने डैड को सीरियस होता देख विराज कहता है....."डेड आपकी ऑफिसर की दुनिया और मेरी दुनिया बहुत अलग है"......."अगर हमारा कुछ हो भी जाए"......तो भी "हमारा कुछ नहीं हो सकता".......और यह बात आप जानते हैं
इसलिए "जो हो ही नहीं सकता उसके पीछे भागने का क्या मतलब है" इतना कहकर विराज वहां से चला जाता है मिस्टर करिअप्पा अपने बेटे को जाते हुए देखकर कहते हैं....."मैं जानता हूं यह कभी नहीं हो सकता".....फिर मुस्कुरा कर वह भी वहां से चले जाते हैं
विराज अपने कमरे में आता है और एक तस्वीर के सामने खड़े हो जाता है.......उस तस्वीर में ज्योति बीच में खड़ी थी .....उसके दोनों साइड दो लड़के खड़े थे .....विराज इस तस्वीर को देखते हुए कहता है
"दोस्ती का वादा किया था हम तीनों ने".....और "तुम दोनों ही नहीं निभा पाए".....और ज्योति "तुम सब कुछ जान कर भी अनजान बनी रही"......"मोहब्बत तुमने कि नहीं और इस मोहब्बत के चक्कर में मैंने अपनी दोस्त भी खो दी"... "बट आई ओल्वेज़ मिस यू बोथ"
"ज्योति के घर पर"
ज्योति अपना कमरा अच्छे से सेट करती है और कमरे के दरवाजे के पीछे एक वाइट कलर का बोर्ड लगाती है......और उस पर कुछ कटिंग्स लगाती है....फिर उस बोर्ड पर सेंटर में देवांश की एक तस्वीर लगाती है और उस तस्वीर से कनेक्ट करके बहुत सारी लाइने बनाती है और लाइनों से कनेक्ट करके बहुत सी कटिंग लगाती है
फिर उस बोर्ड को देखते हुए कहती है......"तुम्हें तुम्हारी बर्बादी मुबारक हो मिस्टर देवांश"..... कुछ देर उस बोर्ड को देखने के बाद ज्योति नीचे अपनी मां की मदद करने चली जाती है.....कुछ देर में ज्योति और उमा जी मिलकर बहुत सा खाना बनाते हैं
ज्योति अपने बड़े भाई को खाने के लिए बुलाने चली जाती है जब वह अपने भाई के कमरे में जाती है
तो देखती है उसका भाई कुछ काम कर रहा था वह अपने भाई के बगल में बैठ जाती है और उसके कंधे से अपनी कोहनी टिकाते हुए कहती है....."ओहो भैया बस करो कितना काम करोगे".....ज्यादा काम करोगे तो "चेहरे पर थकान नजर आने लगेगी और शादी के दिन चेहरा अच्छा नहीं लगेगा".....
"इसलिए काम पर कम और चेहरे पर ज्यादा ध्यान दो"...भाभी से ज्यादा अच्छा लगना है ......दीपक अचानक से अपना कंधा हटा लेता है जिससे ज्योति गिरते-गिरते बचती है.....और अपने भाई को घूरते हुए कहती है
"आपको शर्म नहीं आती गिरा दिया" मुझे लग जाती तो दीपक रूम से बाहर जाते हुए कहता है....."सोफे पर गिरने से भी किसी को चोट लग सकती है"....."पहली बार सुना है"....और वहां से चला जाता है ज्योति उसके पीछे जाते हुए कहती है "मेरी तो कोई इज्जत ही नहीं है जब देखो तब बेज्जती करते रहते हैं"...
देवांश को ज्योति को खुद को खिलौना कहना क्यों बुरा लग रहा है? विराज ज्योति को कैसे जानता है? उस तस्वीर में खड़ा वो तीसरा लड़का कौन है ?
क्या मोड़ लेने वाली है इनकी कहानी.....आगे कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स
मिलते हैं अगले चैप्टर में....कहानी आपको कैसी लग रही है बताना ना भूले.....तब तक खुश रहिए आबाद रहिए चंडीगढ़ रहिए या फरीदाबाद रहिये
....... बाय बाय.....
KALPANA SINHA
11-Aug-2023 10:56 AM
Nice part
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Varsha_Upadhyay
01-Feb-2023 07:11 PM
Nice 👍🏼
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
01-Feb-2023 04:46 PM
शानदार भाग
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